
मुंबई के दादर स्थित टॉरेस ज्वेलरी के नाम पर हाल ही में एक बड़ा निवेश घोटाला हुआ है, जिसने हजारों निवेशकों को झटका दिया। यह मामला तेजी से सुर्खियों में आया जब निवेशकों ने अपनी गाढ़ी कमाई गंवा दी।
घोटाले के पीछे की कहानी
टॉरेस ज्वेलरी का इतिहास
टॉरेस ज्वेलरी एक प्राइवेट कंपनी थी, जिसका मुख्यालय मुंबई के दादर में स्थित था। इसकी स्थापना गहनों के व्यापार और निवेश योजनाओं की पेशकश के उद्देश्य से की गई थी। कंपनी ने अपने आकर्षक दावे और बेहतर रिटर्न की गारंटी देकर कई निवेशकों को जोड़ा।
निवेश योजना की पूरी जानकारी
इस कंपनी ने निवेशकों को कम समय में बड़े रिटर्न का वादा करते हुए निवेश स्कीम्स लॉन्च की। उदाहरण के लिए, कंपनी ने ऐसी योजना पेश की जिसमें ₹1 लाख निवेश करने पर ग्राहक को मोइसानाइट स्टोन(moissanite stone) वाले पेंडेंट पर ₹10,000 की छूट दी जाती थी। साथ ही, निवेशकों को उनकी राशि पर 6% वार्षिक रिटर्न देने का वादा किया गया, जो अगले 52 हफ्तों में किस्तों में भुगतान किया जाना था। यह योजनाएं फरवरी 2024 में शुरू हुई थीं और अगले साल फरवरी तक पूरी होने की उम्मीद थी। लेकिन जल्द ही यह साफ हो गया कि यह एक पोंजी स्कीम थी, जिसका मकसद निवेशकों को धोखा देना था।
घोटाले के मुख्य आरोप

पुलिस की जांच और कार्रवाई
शिवाजी पार्क पुलिस थाने के एक अधिकारी ने कहा, “ज्वेलरी स्टोर इन योजनाओं के लॉन्च के बाद केवल एक साल में काफी लोकप्रिय हो गया था। लेकिन दो हफ्ते पहले उन्होंने भुगतान करना बंद कर दिया। जब सोमवार को लोगों ने स्टोर के बाहर इकट्ठा होना शुरू किया, तब हमने एक निवेशक की शिकायत पर मामला दर्ज किया।”
इस मामले में पुलिस ने कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।
पुलिस ने बताया कि शिकायतें प्लेटिनम हर्न प्राइवेट लिमिटेड और उसके निदेशकों सुरवेश अशोक सुरवे और विक्टोरिया कोवालेन्को; सीईओ तौसिफ रेयाज उर्फ जॉन कार्टर; जनरल मैनेजर तानिया कसाटोवा; और स्टोर इंचार्ज वेलेंटिनो कुमार के खिलाफ दर्ज की गई हैं। इनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 318 (4) (धोखाधड़ी), 316 (5) (आपराधिक विश्वासघात), और 61 (आपराधिक षड्यंत्र) तथा महाराष्ट्र प्रोटेक्शन ऑफ इंटरेस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स (इन फाइनेंशियल एस्टैब्लिशमेंट्स) एक्ट, 1999 की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस को शक है कि कुछ आरोपी देश छोड़कर भाग गए हैं।
कंपनी की प्रतिक्रिया
स्टोर की वेबसाइट पर एक संदेश अपलोड किया गया है जिसमें दावा किया गया है कि इसके सीईओ तौसिफ रियाज़ ने “स्टोर्स को लूटा और वेंडलाइज़ किया, साथ ही गहने और नकदी चुरा ली।” यह आरोप अन्य कर्मचारियों के साथ मिलकर लगाया गया है।
निवेशकों का सामूहिक आंदोलन
पैसे गंवाने वाले निवेशकों ने कंपनी के दफ्तर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। गुस्साए निवेशकों ने अपने हक की मांग करते हुए दोषियों को सजा देने की बात कही।
घोटाले के प्रभाव
इस घोटाले का असर न केवल निवेशकों पर पड़ा, बल्कि स्थानीय बाजार में भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा। निवेशकों ने बताया कि उन्होंने अपनी जीवन भर की कमाई इस योजना में लगा दी थी।
निवेशक सुरक्षित रह सकते हैं?
धोखाधड़ी से बचने के तरीके
भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी से बचने के लिए निवेशकों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- पहली बात, किसी कंपनी के निवेश योजनाओं की सत्यता की जांच करें।
- केवल उन्हीं कंपनियों में पैसे लगाएं जो रेगुलेटरी अथॉरिटी द्वारा रजिस्टर्ड हो।
- उन्हें हाई रिटर्न के वादों से बचना चाहिए जो असलियत से परे लगते हों।
कानूनी कदम उठाना
निवेशकों को अपने अधिकारों के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनानी चाहिए। अगर घोटाला होता है तो स्थानीय पुलिस, साइबर क्राइम सेल या आर्थिक अपराध शाखा की मदद लेना बेहद जरूरी है।
निष्कर्ष
टॉरेस ज्वेलरी घोटाले ने एक बार फिर दिखा दिया कि निवेश करने से पहले बहुत सोच-समझकर कदम रखना चाहिए। यह घटना सभी को सतर्क रहने और जागरूकता बढ़ाने की सिख देती है। निवेशकों का पैसा उनकी मेहनत और भरोसे का प्रतीक है, और इसे धोखाधड़ी से बचाना हर किसी की जिम्मेदारी है।
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